मृदंग (संस्कृत: मृदंग,तमिल: மிருதங்கம், कन्नड़: :ಮೃದಂಗ, मलयालम: മൃദംഗം, तेलुगु: మృదంగం) दक्षिण भारत का एक थाप यंत्र है। यह कर्नाटक संगीत में प्राथमिक ताल यंत्र होता है। इसे मृदंग खोल, मृदंगम आदि भी कहा जाता है। गांवों में लोग मृदंग बजाकर कीर्तन गीत गाते है। इसका एक सिरा काफी छोटा और दूसरा सिरा काफी बड़ा (लगभग दस इंच) होता है। मृदंग एक बहुत से प्राचीन वाद्य है। इनको पहले मिट्टी से ही बनाया जाता था लेकिन आजकल मिट्टी जल्दी फूट जने और जल्दी खराब होने के कारण लकड़ी का खोल बनाने लग गये हैं। इनको उपयोग, ये ढोलक ही जैसे होते है। बकरे के खाल से दोनों तरफ छाया जाता है इनको, दोनों तरफ स्याही लगाया जाता है। हाथ से आघात करके इनको भी बजाया जाता है। छत्तीसगढ़ में नवरात्रि के समय देवी पूजा होती है, उसमें एक जस गीत गाये जाते हैं। उसमें इनका उपयोग होता है।[1]

मृदंग
मृदंग
मृदंग
वर्गीकरण

थाप यंत्र

इन्हें भी देखें

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  1. "रिखी क्षत्रिय और छत्तीसगढ़ के वाद्य". मूल से 24 जुलाई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2009.

बाहरी कड़ियाँ

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